चेतना का रहस्य "चेतना का रहस्य" (Chetana ka Rahasya) का अर्थ है चेतना की गहराई और उसके रहस्यमयी स्वरूप को समझना। चेतना, संस्कृत शब्द "चित्" से निकला है, जिसका अर्थ है "जानना" या "अनुभव करना"। यह मन की वह शक्ति है जो हमें आत्म-जागरूकता, अनुभव, और बाहरी दुनिया के प्रति सचेतनता प्रदान करती है। हिंदू दर्शन, आयुर्वेद, और योग में चेतना को जीवन का मूल तत्व माना जाता है, जो आत्मा (आत्मन्) से जुड़ा है और शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन बनाता है। चेतना का रहस्य: प्रमुख बिंदु आध्यात्मिक दृष्टिकोण : चेतना को आत्मा का प्रकाश माना जाता है, जो जीवन को संभव बनाती है। यह वह शक्ति है जो मिट्टी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश जैसे भौतिक तत्वों को एक जीवित प्राणी में रूपांतरित करती है। योग और ध्यान के माध्यम से चेतना का विस्तार होता है, जिससे व्यक्ति अपने "मैं" की सीमाओं को तोड़कर विश्व के साथ एकता का अनुभव करता है। यह योग का मूल अर्थ है—मिलन। सद्गुरु के अनुसार, चेतना का विकास तब होता है जब व्यक्ति अपनी शारीरिक पहचान से ऊपर उठकर अपनी आंतरिक प्रज्ञा से ज...
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